बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
अथवा
तुलसीदास के जन्म सम्बन्धी विविध मतों का विवेचन करते हुए तुलसी के साहित्यिक कृतित्त्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
अथवा
तुलसी की रचनाओं का परिचय दीजिए।
अथवा
तुलसी के ग्रन्थों की सूची प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
तुलसीदास के साहित्यिक परिचय पर प्रकाश डालते हुए उनके हिन्दी साहित्य में स्थान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
जन्म - तुलसीदास के जन्म के सम्बन्ध में विविध मत है। महात्मा रघुवरदास द्वारा रचित 'तुलसी चरित' में तुलसी का जन्म संवत् 1554 (सन् 1497 ई0) माना गया है। 'शिवसिंह सरोज' के रचनाकार ने तुलसीदास का जन्म संवत् 1583 (सन् 1526 ई0) स्वीकार किया है तथा मीरजापुर के प्रसिद्ध रामभक्त पं0 रामगुलाम द्विवेदी ने जनश्रुति के आधार पर तुलसीदास का जन्म संवत् 1586 (सन् 1532. ई0) माना है। अधिक विद्वानों ने तुलसी के जन्म की प्रामाणिकता पं0 रामगुलाम द्विवेदी के द्वारा बताये जन्म सम्वत् को मान्यता प्रदान की है।
जन्म-स्थान- तुलसी के जन्म स्थान के सम्बन्ध में भी पर्याप्त मतभेद हैं कुछ लोग तुलसी का जन्म बाँदा जनपद के राजापुर ग्राम में बताते हैं किन्तु कुछ विद्वान तुलसी के जन्म स्थान को उनकी निम्न पंक्ति के आधार पर सोरों (एटा) को मानते हैं -
मैं पुनि निज गुरु सन सुनि, कथा सो सूकर खेत।
यहाँ सूकर खेत को विद्वान भ्रमवश सोरो (एटा) मान लेते हैं। वस्तुतः सूकर खेत या सूकर क्षेत्र का आशय वाराह क्षेत्र है जो गोंडा जिले के सरयू नदी के किनारे पर स्थित है। इन तीनों मतों में तुलसी का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले का राजापुर ग्राम अधिक उपयुक्त बैठता है। अधिकतर विद्वान राजापुर को ही तुलसी के जन्म स्थान के रूप में मान्यता देते हैं।
माता-पिता जनश्रुतियों के आधार पर यह माना जाता है कि इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत थे जिसे अशुभ माना जाता है और इनको माता-पिता ने त्याग दिया। इनका पालन-पोषण प्रसिद्ध सन्त बाबा नरहरिदास ने किया और उन्होंने ही इन्हें ज्ञान और भक्ति की शिक्षा प्रदान की।
विवाह इनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या 'रत्नावली' से हुआ था। कहा जाता है कि ये अपनी अतिरूपवती पत्नी से अत्यधिक आसक्त थे। इस पर इनकी पत्नी ने एक बार इनकी घोर भर्त्सना इस प्रकार की थी -
अस्थि चर्म मय देह मम, तामें ऐसी प्रीति।
ऐसी जो रघुनाथ में, होति न तब भव भीति ॥
निधन तुलसी का निधन संवत् 1660 (सन् 1623 ई0) को वाराणसी में हुआ था इनके निधन के सम्बन्ध में यह दोहा प्रचलित है -
संवत सोलह सौ असी, असी गंग के तीर।
साहित्यिक व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व महाकवि तुलसीदास एक उत्कृष्ट कवि ही नहीं, महान् लोकनायक तत्कालीन समाज के दिशा-निर्देशक भी थे। इनके द्वारा रचित महाकाव्य निम्नलिखित हैं-
1. 'श्रीरामचरितमानस' - भाषा, भाव, उद्देश्य, कथावस्तु चरित्र-चित्रण एवं संवाद योजना की दृष्टि से हिन्दी साहित्य का एक अद्भुत ग्रन्थ है। इसमें तुलसी के कवि, भक्त, लोकनायक रूप का चरम उत्कर्ष दृष्टिगत होता है। श्रीरामचरितमानस में तुलसी ने व्यक्ति, परिवार, समाज, राज्य, राजा, प्रशासन, मित्रता, दाम्पत्य एवं भ्रातृत्व आदि का जो आदर्श रूप प्रस्तुत किया है, वह विश्व मानव समाज का पथ- प्रदर्शक बन गया।
2. विनयपत्रिका - इसमें तुलसी ने ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति व समपर्ण का समावेश किया है। एक भक्त के रूप में तुलसी दैन्य भाव से ही अपनी अभिव्यक्ति करते हैं। 'विनयपत्रिका' में उनके भावुक स्वरूप की झाँकी मिलती है।
3. दोहावली- इसमें तुलसी ने दोहा के माध्यम से रामचरितमानस के सातों काण्डों का संक्षेप में मोहक चित्र खींचा है।
4. कवितावली - कविता वली में सवैया, भक्ति आदि छन्दों के माध्यम से मानस के अनुसार रामकथा काण्डों में वर्णित की गयी है।
5. गीतावली - गीतावली में कवि ने रामचरित का वर्णन एक रस भाव से होकर छन्दों के माध्यम से किया है।
6. श्रीकृष्ण गीतावली - श्रीकृष्ण गीतावली तुलसी ने ब्रजभाषा में लिखा है। यह अत्यधिक ललित, मधुर और रसमय गीति काव्य रचना है। इसमें कृष्ण कथा का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास ने कुल छः पदों में किया है।
7. रामाज्ञाप्रश्न - यद्यपि यह तुलसी का शकुनशास्त्र है। विचार चर्चा के उद्देश्य से इसकी रचना की गयी है। फिर भी रामाज्ञा प्रश्न में हमें राम के भक्ति, शील व सौन्दर्य में तुलसी की उपासना के सर्वत्र दर्शन होते हैं।
8. वैराग्य संदीपनी - तुलसी ने इसकी रचना वैराग्य को संदीप्त करने के लिए किया है। इसका प्रमुख विषय में सन्त महिमा और शान्ति महिमा का गुणगान रहा है तथा इसमें कुछ दर्शन और भक्ति निरूपक उक्तियाँ भी हैं।
9. बरवै रामायण - सात काण्डों में विभक्त तुलसी की बरवै रामायण के केवल उत्तरकाण्ड में भक्ति का विवेचन हुआ है, इसमें केवल राम-नाम भक्ति का प्रतिपादन किया गया है।
10. रामललानहछू - तुलसी के इस छोटे से काव्य में उपनयन संस्कार से पूर्व होने वाली लौकिक रीतियों का वर्णन मिलता है। इसमें तुलसी की भक्ति भावना की अभिव्यक्ति नहीं मिलती।
11. जानकी मंगल - जानकी मंगल तुलसी का संक्षिप्त एवं विवाह विषयक काव्य ग्रन्थ है। इसमें सैद्धान्तिक रूप से भक्ति का निरूपण कहीं नहीं हुआ है फिर भी सीता, दशरथ, जनक एवं विश्वामित्र आदि के राम विषयक प्रेम के माध्यम से तुलसी की भक्ति भावना व्यक्त हुई है।
12. पार्वती मंगल - इस काव्य रचना में तुलसीदास जी ने शिव-भक्ति का प्रतिपादन किया है। शिव के प्रति तुलसी की भक्ति भावना इसमें सीधे व्यक्त न होकर अन्य पात्रों के माध्यम से व्यक्त हुई है।
13. हनुमान बाहुक - तुलसी ने इस काव्य ग्रन्थ में राम के अनन्य सेवक हनुमान की भक्ति भावना का प्रतिपादन किया है। भक्ति के विविध भावों की दृष्टि से हनुमान बाहुक में दास्य-भाव की भक्ति का दर्शन होता है।
तुलसी का हिन्दी साहित्य में स्थान
तुलसीदास रामभक्ति काव्यधारा के श्रेष्ठ कवि ही नहीं वरन् युग के लोकनायक भी थे। उनके द्वारा दिया गया समन्वय का मूलमंत्र साहित्य में युगान्तकारी नवीन दृष्टिकोण को लेकर आगे बढ़ा। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का यह वक्तव्य तुलसी के महत्व की उद्घोषणा हेतु पर्याप्त है "भारतवर्ष में लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय कर सके बुद्धदेव समन्वयकारी थे। गीता में भी समन्वय की चेष्टा है और तुलसी भी समन्वयकारी थे। तुलसी के सम्पूर्ण साहित्य में युगीन गतिरोधों के समाधान का प्रयास दिखाई देता है। उनके द्वारा रचित 'रामचरित मानस' भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिबिम्ब बनकर सम्पूर्ण विश्व के साहित्य में हिन्दी की श्रेष्ठता का परचम लहरा रहा है। तुलसी ने अपने युग की समस्त विविधताओं को भली भाँति देख परख कर साहित्य के माध्यम से उनके एकीकरण का स्तुत्य प्रयास किया। महाकवि तुलसीदास से अन्याय व अनाचार से संत्रस्त घुटने टेकती जनता को प्रभु के सत्य, शील एवं सौन्दर्य से युक्त रूप का सम्बल प्रदान किया। उनके द्वारा उदघोषित ये पक्तियाँ मानो जनमानस के हृदय का अपूर्व साहस बन गईं है -
जब जब होई धरम की हानी ।
बाढ़हि असुर अधम अभिमानी ।।
तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा।
हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।।
उन्होंने जनता को अत्याचार व शोषण के विरुद्ध संघर्ष करने का मार्ग दिखाया। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से उच्चतम आदर्शो को अपने चरित्र में धारण करने का संदेश दिया। यही वह विशेषता है जिसके कारण तुलसी को सर्वाधिक प्रशंसा प्राप्त हुई। उन्होंने सोई हुई जनता के आत्मगौरव व आत्मबल को जगाने का पुनीत कार्य किया और समाज को उनकी कविता में रामराज्य की छवि व आदर्श मूर्तिमान होते दिखाई देने लगा। महाकवि की पदवी से विभूषित तुलसी का हिन्दी साहित्यकाश में विशिष्ट स्थान है। उनके महत्व को प्रतिपादित करते हुए हरिऔध जी भी कह उठे - "कविता कर के तुलसी न लसै कविता लसी पा तुलसी की कला।'
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।